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Posted: 4 years ago
#31

LOVE IN CORONA (भाग 1 )

जब से यह दुनिया बनी है मानव जीवन कभी भी सुखमय नहीं बीता ! चाहे कोई भी युग रहा हो या कोई भी काल मानव पर कोई ना कोई प्राकृतिक आपदा समय समय पर अपना प्रभाव जरूर छोड़ती है ! लेकिन हर युग में दो तरह के लोग सदा से रहे हैं, एक जो उस विपदा के होते हुए भी अपना जीवन अच्छे से जीते हैं और दुसरे वो जो विपत्ति को देख के इतना घबरा जाते हैं कि अपना जीवन तक खो देते हैं ! हमारी कहानी भी ऐसे लड़के और लड़की की है जो अलग अलग जगह दो तरह से एक प्राकृतिक आपदा CORONA से लड़ रहे हैं ! उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की ही थी कि उन्हें जीवन का वो रंग भी देखना पड़ा जिसकी उन्होंने कभी अपेक्षा नहीं की थी !

मीशा बहुत खुश थी कि उसे MBA मार्केटिंग करते ही दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब मिल गयी थी ! निम्न माध्यम वर्ग परिवार से आयी मीशा के लिए 25 हज़ार रु की नौकरी बहुत बड़ी बात थी ! उसका अपना खुद का कमरे का किराया, खाना पीना और बस किराया कुल मिलाकर 15 -16000 क्यूंकि दिल्ली जैसे शहर में यह रकम एक व्यक्ति के लिए बहुत ही मामूली थी ! हज़ार दो हज़ार और रखकर बाकी के पैसे वो घर भेज देती थी ! घर वाले भी खुश थे कि उनकी बेटी कमाने लग गयी है और उनका हाथ भी थोड़ा खुला हो गया था ! पर उसकी और उसके भाई की पढाई ने उसके पिता जी को क़र्ज़ में डुबो दिया था क्यूंकि UP के एक कस्बे (जो कि दिल्ली से काफी नजदीक था और जहाँ की मीशा थी) में उनकी किराने की दुकान थी ! चलती तो थी पर इतना ही कि उनका घर का गुजर बसर हो सके ! माँ ने भी थोड़ी बहुत बचत करके जो कुछ इकठा किया सब बच्चों की पढाई पर लगा दिया और इतने में कहाँ काम चला, उनको बैंक से क़र्ज़ तक लेना पड़ा तब कहीं जाकर मीशा की MBA पूरी हुई और उसका भाई विवेक अभी BSC कर रहा था तो उसकी पढाई में भी खूब खर्च हो रहा था ! अब कहाँ वो छोटी सी दुकान इतना निकल पाती थी कि उनके घर खर्च के इलावा उनकी पढाई लिखे का खर्च भी ढोती ! चलो किसी तरह से वक्त गुजरता गया ! अब जब मीशा कमाने लगी तो माँ को आशा थी कि अब उनके दिन फिरेंगे और वो लोग कर्जमुक्त जीवन जियेंगे ! माँ अपने घर कि हालात मीशा को बताती रहती थी ! पर बड़ा बच्चा हमेशा ही इतना समझदार होता है कि खुद ही घर कि हालात का उसे पता होता है ! मीशा को भी पता था कि पिता पर कितना क़र्ज़ है और वो जल्द से जल्द उस क़र्ज़ से उन्हें मुक्ति दिलाना चाहती थी ! उसके लिए वो बस यही कर सकती थी कि कम से कम खर्च करती ! वो तो वो पहले से ही कर रही थी !

एक साल में ही मीशा ने इतनी तरक्की कर ली कि टीम लीडर की पोस्ट तक पहुँच गयी ! काम का इतना कीड़ा था उसके अंदर कि दिन रात नहीं देखती थी ! बस कंपनी की सेल्स कैसे बढे इसी पर उसका ध्यान रहता था ! तो नयी पोस्ट कि साथ नयी सैलरी भी ! उसे विश्वास नहीं हो पा रहा था कि उसे इस महीने से 40 हज़ार रु वेतन मिलेगा ! यह इंसान की फितरत है कि जैसे जैसे उसकी आमदनी बढ़ती रहती है, उसके खर्च उसी हिसाब से बढ़ने शुरू हो जाते हैं ! मीशा ने देखा कि उसका फ्रिज ख़राब है और उसे वाशिंग मशीन भी चाहिए ! यही सब सामन उसे अपने घर के लिए भी चाहिए था ! घर पे तो और भी बहुत सारे सामान की जरुरत थी क्यूंकि उनके खर्च की वजह से घर में कोई सामान कहाँ बना था ! TV तक उस ज़माने का था जब अभी केबल TV नहीं आया था ! तो कितना कुछ बदलने वाला था ! मीशा उन्हें हर ख़ुशी देना चाहती थी परन्तु माँ ने उसे समझाया के संभल कर चले अभी कुछ ही समय पहले उसकी नौकरी लगी है उसे ध्यान से खर्च करना चाहिए तो मीशा हमेशा जवाब देती कि माँ तुम चिंता ना करो सब कुछ आसान किश्तों पे मिल जाता है ! माँ को मीशा की बस यही बात पसंद नहीं थी! कहाँ तो वो लोग कर्ज के इस नर्क से बाहर निकलना चाहते थे और कहाँ मीशा उन्हें फिर कभी ना ख़तम होने वाले क़र्ज़ में फिर से डूबा रही थी ! उसकी अपनी और घर की कुल मिलाकर 15 -16 हज़ार की मासिक किश्तें हो गयीं थी ! फिर उसकी एक सहेली जिसने उसके साथ ही MBA किया था वो एक मशहूर INSURANCE कंपनी में काम करती थी उसका BIMA कर गयी जिसकी सालाना किश्त 35 हज़ार के करीब थी ! तो वो जो भी कमाती वो उसकी किश्तों और अपने खुद के खर्च में निकल जाता ! उसकी माँ बोलती के प्राइवेट नौकरी का कोई भरोसा नहीं होता आज है कल नहीं है तू इस तरह खर्च ना बढ़ा तो वो बोलती कि माँ मुझमे इतनी क़ाबलियत है कि मैं इससे भी बढ़िया नौकरी ढूंढ सकती हूँ ! जब इंसान लगातार तरक्की कर रहा होता है तो उस वक्त उसे कभी एहसास नहीं होता कि ऐसा समय भी आ सकता है कि उसकी कमाई रुक जाये ! वो तो बस यही सोचता है कि उसका जो चल रहा है निरंतर चलते रहना है !

आपको कैसी लगी यह शुरुआत, कृपया जरूर बताएं ....क्रमशः !

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Posted: 4 years ago
#32

LOVE IN CORONA (भाग 2 )


वरुण एक बहुत ही समझदार युवा था जिसने GRADUATION के बाद पढाई में ज्यादा रूचि ना होने के कारण कुछ अपना व्यवसाय शुरू करने की सोची ! वो आज के ज़माने के हिसाब से कोई काम शुरू करना चाहता था ! उसके पिता जी का दिल्ली में कपडे का कारोबार था जो बहुत अच्छा चल रहा था और उनको आशा थी कि वरुण उनका इस काम में हाथ बंटाएगा ! ऐसा नहीं कि वरुण ने उनका कहा नहीं माना ! वो कुछ समय गया उनके शो रूम में पर वहां पर उसे अपने लायक कुछ काम दीखता ही नहीं था ! उसने अपने पापा से इस बारे में चर्चा की और उन्हें बताया कि वो कुछ अलग करना चाह रहा है ! कुछ ऐसा जिसमे ज्यादा पूँजी भी ना लगे और हो भी नए ज़माने का ! पापा ने कहा कि उन्होंने तो अपने इसी धंधे में सारी ज़िन्दगी निकाल और अगर उसे लगता है कि कोई कारोबार है जो उसे समझ में आता है तो वो उसे पैसा देने के लिए तैयार हैं परन्तु उन्हें वो लगना चाहिए कि वो व्यापर लाभप्रद है ! वरुण ने विश्वास दिलाया कि वो घाटे वाला कोई काम नहीं करेगा ! पापा ने कहा कि उन्हें उस पर पूरा भरोसा है!


वरुण ने बहुत सारे कामों पर खोजबीन शुरू की ! किसी में नफा काम तो कहीं पे ग्राहक काम ! कोई तो मौसमी काम था और कोई ऐसा काम था जिसमे सामान ख़राब हो जाये ! उसे यह सब करते करते 6 महीने बीत गए पर कोई बात नहीं बनी ! इतने में उसके एक दोस्त की शादी आ गयी ! दोस्त की शादी मतलब धूमधाम मौज मस्ती, और इस सब के साथ साथ दोस्त का उसकी शादी के कामों में हाथ बांटना ! वरुण ने एक हफ्ता पहले ही अपने दोस्त राघव को फ़ोन किया, पहले तो शादी की बधाई दी और फिर उसे पूछा कि कोई काम हो तो उसे जब मर्जी बुला सकता है क्यूंकि वो एकदम खाली था ! राघव ने पहले तो उसे शुक्रिया बोला, फिर कहा कि अब ज़माना बदल गया है ! पहले जैसे काम नहीं रहे अब सब कुछ बना बनाया मिलता है और उसे बताया कि उसने शादी के पूरे इंतज़ाम का ठेका एक WEDDING PLANNER को दे रखा है और सुई से लेकर बड़ी से बड़ी हर चीज की जिम्मेदारी उस PLANNER की ही रहेगी ! वरुण ने फिर भी कहा कि उसके लायक कुछ भी काम हो तो बताना और यह कह कर उसने फ़ोन काट दिया !


शादी पे सभी पुराने दोस्त इकठे हुए ! कोई जॉब कर रहा था, कोई आगे पढ़ रहा था, किसी का अपना कारोबार था सब अपने कामों में व्यस्त थे पर एक वरुण ही था जो खाली था ! दोस्तों ने उसके खाली होने का कारण पुछा तो उसने बताया कि उसने काफी काम ढूंढें पर ढंग का कोई नहीं मिल पाया और फिर उसने बताया कि उसे कुछ ज्यादा पूँजी नहीं लगनी और काम भी कोई आधुनिक ढूँढना है जो लम्बे समय तक चले ! दीपक जिसने अपना खानदानी व्यवसाय चुना था सब लोगों को राय देता रहता था ! एक दो दोस्तों ने उसके कहने पर ही अपना करियर चुना और सब मानते थे कि उसकी राय बहुत अच्छी होती है ! दीपक ने वरुण से पूछा कि उसने अपने पापा के काम में रूचि क्यों नहीं ली तो उसने कहा कि उसे जीवन में कुछ हटके करना था ! उसके पापा का काम बहुत अच्छा चल रहा था और उसका उनके कारोबार में कोई रोल फिट नहीं बैठ रहा था ! दीपक ने कहा कि वो उसे शाम तक सोच के बता देगा कि उसे क्या करना चाहिए ! शाम को सोचना क्या था सब लोग मौज मस्ती करने लग गए और शादी के उत्सव के रंग में रंग गए ! खाना पीना नाच गाना खूब चला ! सबने बहुत मज़े किये !

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Posted: 4 years ago
#33

LOVE IN CORONA (भाग 2 )


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सब कुछ होने के बाद भी सब लोग फेरों तक टिके रहे ! दोस्तों का काम ही होता है दोस्त की शादी में मज़े करना और आखरी रस्म तक दोस्त का साथ निभाना ! सभी दोस्त फेरों वाली जगह सामने लगी कुर्सियों पर बैठे थे ! इतने में पंडित जी ने कहा कि हवन के लिए रेत चाहिए तो वरुण और दीपक उठे और राघव कि पापा से बोले कि बोले कि हम बहार से देखकर ले आते हैं अंकल ! तो राघव के पापा बोले कि तुम लोग क्यों जाओगे बेटा तुम लोग तो शादी का आनंद लो ! यह सब जिम्मेदारी wedding planner की है ! इतने में दीपक के मुँह जोर से निकल गया कि मिल गया, तो सब लोग उसकी तरफ देखने लगे ! और किसी ने पूछ ही लिया कि क्या मिल गया तो दीपक थोड़ा झेंप गया और बोला कुछ नहीं ! वरुण को एक तरफ ले जाकर बोला कि तेरे लिए काम मिल गया ! तो वरुण बोला क्या सोचा ! तो दीपक बोला कि तू wedding planner बन जा ! अभी तेरे सारे दोस्तों की शादियां होनी हैं ! उनका काम तो तुझे ही मिलने वाला है ! फिर बाकायदा दफ्तर खोला जायेगा ! इसमें पूँजी भी ज्यादा नहीं लगनी बस थोड़ा विज्ञापन पर खर्च करना होगा ! कुछेक वेब साइट्स पर रजिस्टर करना होगा ! अपनी एक खुद की वेब साइट बनानी होगी ! बस तेरा काम शुरू हो जायेगा ! वरुण ने पूछा कि क्या यह इतना आसान है तो दीपक बोला कि आसान तो कुछ नहीं होता ! क्यूंकि यह इतना ही आसान होता तो हर कोई ना कर लेता ! मुझे भी कौन सा पूरी जानकारी है इस बारे में ! तू ऐसा कर शादी के बाद इंटरनेट पे खूब खोजबीन कर कुछ ना कुछ जानकारी तो मिलेगी ! वरुण को यह काम समझ में आ गया ! उसने सोचा कल सुबह से ही इस काम की तैयारी में लग जाता हूँ !


अगले ही दिन वो लग गया नेट पे सर्च करने ! जहाँ नेट में हज़ार दोष हैं तो लाखों फायदे भी तो हैं ! किसी भी चीज की जानकारी आपके एक क्लिक पर उपलब्ध है ! यह आप पे निर्भर है कि आप नेट से क्या लेना चाहते हो ! वरुण अपनी धुन का पक्का था उसे तो काम की पूरी जानकारी लेनी थी सो लग गया ! उसने एक डायरी ली और अपने काम से समन्धित जो भी जानकारी थी उसे इकठ्ठा किया और फिर एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट सी तैयार की ! उसने वो प्रोजेक्ट अपने पापा को दिखाया ! काम भी मुनाफे वाला था और पूँजी में काम लगनी थी ! हाँ इसमें मेहनत खूब थी और पार्टियां में ढूंढनी थी ! उसके पापा ने उसे विश्वास दिलाया कि वो उसकी इस मामले में भी मदद करेंगे ! उनकी दूर की रिश्तेदारी में दो महीने बाद एक शादी थी तो उन्होंने अपने रिश्तेदारों से इस बारे में बातचीत की कि उनका बेटा वरुण एक wedding planner बन गया है और अगर वे कोई planner ढूंढ रहे थे तो उनके बेटे को एक मौका दे सकते थे ! वे उसके पापा की काफी इज़्ज़त करते थे तो बोले कि उन्होंने किसी को तो काम देना ही था, तो क्यों ना वो अपने घर के बेटे को ही यह काम दें ! पर उन्होंने थोड़ा निवेदन किया कि वरुण नया है तो कोई परेशानी ना हो ! तो वरुण के पापा बोले कि उनको चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है वो भी उसके साथ हैं ! जब वो ही साथ थे तो उन लोगों को चिंता की क्या जरुरत थी ! तो इस तरह से काम शुरू करते ही पहला काम उसे अपने रिश्तेदारों से ही मिल गया !


वरुण ने सोचा था वो अपनी एड़ी चोटी का ज़ोर लगा देगा पर हर जिम्मेदारी को बहुत ही अच्छे से निभाएगा ! वह अपने पहले ही काम में हंसी का पात्र नहीं बनना चाहता था ! क्यूंकि उन लोगों ने उसे औरों जैसी फीस देनी थी जबकि उसने यह काम कभी किया नहीं था ! उसे अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा था ! पर फिर भी तजुर्बा बहुत बड़ी चीज होती है ! अभी तो उसके पास कोई कर्मचारी भी नहीं थे ! वो हमेशा इस शादी की ही योजना बनाता रहता तो एक दिन उसके दिमाग में एक बात आयी कि क्यों ना वो यह वाला काम किसी पुराने planner के साथ सांझे में कर ले ! शाम को उसने यह बात अपने पापा से की तो उन्होंने उसकी इस बारे में खूब प्रशंशा की और कहा कि उसने बहुत समझदारी समझदारी वाला निर्णय लिया है ! वरुण ने सोचा था कि वो इस बारे में किसी पुराने प्लानर से बात करेगा लेकिन काम वो खुद आगे रहकर देखेगा और एक ही शादी में उसे इतना अनुभव तो हो ही जायेगा कि वो आगे से खुद अपने दम पर शादी की डील कर सके !

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Posted: 4 years ago
#34

LOVE IN CORONA (भाग 2 )

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वो अगले दिन "निमंत्रण वेडिंग प्लानर" वालों से मिलने गया और उनसे अपनी सांझेदारी वाली योजना बताई ! पहले तो उन्हें लगा कि वो एक बड़े प्लानर हैं और एक नौसिखिया के साथ काम क्यों करें फिर उन्होंने सोचा के घर बैठे कुछ काम मिल रहा है तो उन्होंने उसे बोला कि सारे खर्चे निकल कि बाकि की रकम का वो उसे 30 % दे सकते हैं ! वरुण ने उन्हें 40 में मना लिया ! तो इस तरह से उसकी पहली डील की शुरुआत हुई ! अभी उसे कई काम करने थे ! उसे एक अच्छा सा नाम सोचना था, एक अच्छी जगह पर ऑफिस देखना था, उसे अपनी वेबसाइट बनवानी थी और अपनी इस डील को पूरा करने के लिए उसे इन लोगों के साथ कई बार मीटिंग करनी थी ! अब वो एक व्यस्त व्यक्ति बन गया था ! इस बात की उसे बहुत ख़ुशी थी !


शादी से पहले उसने अपने खुद के काम की भी शुरुआत कर दी थी ! उसने "शुभ विवाह" के नाम से अपना रजिस्ट्रेशन करवाया और एक बहुत ही अच्छी लोकेशन पर उसने अपना दफ्तर बनाया ! उसकी वेबसाइट भी शुरू हो गयी थी और शहर में कई जगह और हर मर्रिज पैलेस के बहार उसके पोस्टर लग गए थे ! तो इस तरह से आधिकारिक रूप से उसके नए काम की शुरआत हो गयी थी ! इसी बीच उसने अपनी चल रही डील पर भी काम जारी रखा और पूरी तन्मयता से निमत्रण प्लानर्स के साथ अपना संपर्क बनाये रखा ! उसका काम देख कर उन लोगों ने तो उसे एक बहुत ही अच्छी जॉब की भी ऑफर दे डाली पर उसे जॉब कहाँ करनी थी उसे तो अपना काम शुरू करना था किसी भी हाल में ! शादी वाला दिन भी आया ! वो उन लोगों की योजना के अनुसार ही काम कर रहा था ! कैसे सब काम सूचीबद्ध तरीके से हुए और कैसे उन्होंने हर काम के लिए एक टीम बनायीं हुई थी जो बारीक से बारीक हर चीज पर निगाह रखे हुए थे ! उसने हर चीज का नियंत्रण अपने पास रखा हुआ था जो कि उसकी योजना का भी हिस्सा था और उसकी प्लानर्स कि साथ सांझेदारी वाली डील का भी हिस्सा था ! उसने अपने रिश्तेदारों से पूरा संपर्क रखा हुआ था कि उन्हें किसी चीज की कमी ना रहे ! वो लोग भी उसकी प्लानिंग से पूरे खुश थे ! तो इस तरह उसका पहला काम पूरी तरह से सफल रहा ! हालाँकि इस काम में उसे मुनाफा काफी काम हुआ पर यह उसे पूरा तजुर्बा दे गया !


फिर उसका संपर्क निमरत्न वाले कर्मचारिओं से हुआ जिनसे उसे जानकारी मिली के उसे स्टाफ कहाँ से मिल सकता है ! उन्होंने उसकी इस बारे में मदद भी की ! अब उसका खुद का ऑफिस तैयार था पूरे लाव लश्कर के साथ ! उसे उसके एक दोस्त की शादी का काम मिला ! जो उसने अपने दम पर पूरा किया और खूब अच्छी तरह निभाया और सबसे अच्छी बात उसे अपनी जानकारी के बाहर पहला काम मिला जहाँ उसे एक अलग ही पहचान मिली ! वो पार्टी उससे इतनी खुश हुई कि उन्होंने उसका परिचय एक और पार्टी से शादी के दौरान ही करवा दिया ! यह लोग अग्रवाल थे और एक बहुत बड़ी शादी की प्लानिंग चाहते थे ! वरुण ने हाँ तो कर दी पर अब दर रहा था कि वो यह कर भी पायेगा या नहीं ! उसने अपने स्टाफ से इस बारे में मीटिंग राखी , पहले तो उसे उसके भरोसा दिलाया कि वो लोग जी जान से अपना काम करेंगे और इस बड़े प्रोजेक्ट को बहुत ही अच्छी तरह से सफल बनाएंगे ! फिर शाम को उसने अपने पापा से इस बारे में बात की तो उन्होंने उसे खूब हौसला देते हुए कहा कि उसने एक अच्छी शुरुआत की है और वो यह काम भी बहुत ही अच्छे से करेगा उन्हें इस बात का भरोसा है ! उसके पापा उसे हमेशा हौसला ही देते थे ! वैसे उन्हें अपने बेटे पे भरोसा भी बहुत है क्यूंकि उसने आज तक जो कहा था वो कर दिखाया था !

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Posted: 4 years ago
#35

LOVE IN CORONA (भाग 3 )


उसने अगले दिन से ही उस प्रोजेक्ट पे काम शुरू कर दिया और हर चीज की बाकायदा लिस्ट बनाई ! उसने इस शादी के बारे में बार बार अपने स्टाफ के साथ मीटिंग की ! उनमे से दो तीन लोग काफी पुराने थे और उन्हें बड़ी शादियों का भी अनुभव था !उसने उनमे से ही एक को उन सबका हेड बना दिया ! सबने उसी के हिसाब से काम करना था ! उसने उन सबको इस शादी के सफल होने पर एक स्पेशल बोनस की ऑफर भी दी ! वैसे इतनी भी फ़िक्र की बात नहीं थी वरुण के लिए क्यूंकि उसने बहुत सारी बड़ी शादियां देखीं थी और उसे पता था कि ऐसी शादियों में किस चीज की जरुरत होती है ! कमी थी तो बस तजुर्बे की ! शादी का दिन भी आया ! वो लोग एक दिन पहले से लगे हुए थे ! वो खुद भी शादी वाले स्थान पे खड़ा था और पिछली रात को बस 2 - 3 घंटे ही सो पाया था ! वो लगातार उस लड़के को हिदायतें दे रहा था जिसे उसने हेड बनाया था ! इसके साथ ही साथ वो लड़की के पिता के संपर्क में भी था और इस तरह वो एक कड़ी का काम कर रहा था ! वो बार बार लड़की के पिता से पूछ रहा था कि उन्हें किसी चीज में कमी लग रही हो या कोई सामान कम लग रहा हो तो वे उसे बता सकते हैं ! पर लड़की के पापा को सब कुछ सही लग रहा था ! उनके करीबी रिश्तेदारों को वो खुद ही देख रहा था ! सब लोग उसके व्यव्हार से बहुत खुश थे !


इतने में बारात आ गयी ! वो लड़की के पिता के बिलकुल पास खड़ा था ! बारात के स्वागत के लिए जो भी जरुरी सामान था उसकी निगरानी उसने खुद की थी ! कहीं कोई कमी ना रह जाये ! उसे एहसास हो गया था कि लड़का पक्ष के कौन से लोग खास हैं ! उनका भी उसने उसी तरह से खास ध्यान रखा जैसा कि लड़की पक्ष के खास लोगों का रख रहा था ! वरुण को ऐसे लग रहा था जैसे यह उसके किसी क्लाइंट की बेटी की नहीं बल्कि उसकी खुद की बहन की शादी है ! लड़की का पिता एक कारोबारी था और उसका पूरा स्टाफ भी शादी में आया था ! सबकी निगाह उस लड़के पर थी जो शादी में सबसे ज्यादा व्यस्त लग रहा था ! उन सबको लगा कि शायद ये कोई रिश्तेदार है और ऐसा समझने वाली एक लड़की मीशा भी थी ! जी हाँ मीशा इसी सेठ की कंपनी में काम करती थी और इस शादी में निमंत्रित थी ! एक बार वरुण उनके पास आया क्यूंकि वो 10 - 12 लोग इकठ्ठे ही खड़े थे तो उसने सोचा कि उन लोगों से पूछना चाहिए कि उनको किसी चीज की जरुरत हो ! वहां जाने पर उसे पता चला कि वो लोग स्टाफ वाले हैं और उन्होंने उसे बताया कि इंतज़ाम इतना अच्छा है कि किसी भी चीज की कमी नहीं है ! फिर उन्होंने उसका परिचय भी माँगा ! तो वरुण ने बताया कि वो एक wedding planner है और इस शादी का कॉन्ट्रैक्ट उसके पास था ! एक दो लड़के हंसने लगे और बोले कि उन्हें तो लगा था कि वो कोई रिश्तेदार है तो वरुण भी हंसने लगा ! उसने उनके साथ दोस्तों जैसा सलूक किया और सबको अपना कार्ड दिया और बोला कि किसी भी तरह का कार्यक्रम हो वो लोग उसे एक मौका दे सकते हैं तो सबने बोला कि वो लोग पूरी कोशिश करेंगे कि उनकी तरफ से उसे कोई काम मिले ! सबने उसका कार्ड रख लिया और सबके साथ मीशा ने भी उसका कार्ड बाकि बिज़नेस कार्ड्स के साथ रख लिया !

शादी की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सुबह 5 बजे विदाई के बाद ही सेठ ने उसका हिसाब कर दिया और उसे पचास हज़ार रुपये इनाम के तौर पर भी मिले ! उसे पैसे पाकर इतनी ख़ुशी नहीं थी जितनी ख़ुशी उसे इस बात से थी कि उन सेठ को उसका काम बहुत पसंद आया था ! उसने उसमें से एक पैसा भी अपने पास नहीं रखा और सारा पैसा अपने स्टाफ में बाँटते हुए कहा कि यह सफलता उनकी ही थी ! जिससे उन लोगों को भी ख़ुशी मिली उनको पैसा भी मिला और प्रशंसा भी ! इंसान को अपने काम के इनाम के रूप में सिर्फ पैसा ही नहीं चाहिए होता बल्कि प्रशंसा के दो बोल भी चाहिए होते हैं जो उनमे एक नया जोश भर देते हैं !

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Posted: 4 years ago
#36

LOVE IN CORONA (भाग 3 )

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मीशा शादी से आने के बाद सोच रही थी कि लड़के में कितना जोश था और वो अपने काम में कितना निपुण था ! वो खुद तो मेहनती थी ही उसे मेहनत करने वाला हर शख्स अच्छा लगता था ! बात मन में आयी और कुछ समय बाद भूल भी गयी ! इतने में ऐसा कुछ हुआ जिसकी दुनिआ के किसी भी इंसान ने आशा नहीं की थी ! दुनिया एक ऐसी बीमारी का शिकार हो गयी थी जो के किसी से संपर्क में आने से फैलती थी ! जी हाँ इस बीमारी या महामारी का नाम Corona था ! जो चीन से शुरू हुई और धीरे धीरे पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रही थी ! ऐसा भी समय आया जब इस विपदा ने हमारे देश भारत में भी अपनी दस्तक दी ! शुरुआत में थोड़े ही लोग थे जो इसकी चपेट में आये थे तो हमारे प्रधानमंत्री ने देश के लोगों से आह्वान किया कि अगले रविवार को जनता कर्फ्यू लागु किया जाये ! यानि जनता एक दिन घर से बहार ना निकले और अपने आप पर खुद ही कर्फ्यू लगाए ! पूरे देश ने प्रधानमंत्री की बात को माना और सब लोग अपने घर पर रहे ! लेकिन कब तक अपने मन से अपने घर में रहते ! तो सरकारों को भी लगा कि पूर्णतय बंद करना ही इस बीमारी से दूर रहने का एकमात्र हल है ! इस तरह से तक़रीबन 20 दिन के लिए सब कुछ बंद कर दिया गया !


सब लोग इस अचानक बंद से हतप्रभ थे परन्तु उनके लिए यही ठीक था ! फिर उसके बाद lockdown 2 और उसे बाद 3 . इस तरह तीसरे बंद तक पहुंचते पहुँचते बहुत सारे लोगों के हौसले पस्त हो गए थे ! खासकर उन लोगों के जिनका जीवन किश्तों पर चल रहा था ! वैसे आज के ज़माने में शायद ही कोई हो जिसने कोई ना कोई किश्त ना देनी हो ! मार्च का वेतन ही काफी देरी से मिल रहा था तो अप्रैल का तो अभी सोच भी नहीं सकते थे ! मालिक लोग भी परेशान थे ! क्यूंकि उनकी सारी पूँजी उधारी में लगी थी और कहीं से कोई भुगतान आ नहीं रहा था ! तो ऐसा शायद कोई ही इंसान होगा जो इस वित्तीय संकट से ना घिरा हो ! हालाँकि मासिक किश्तों में सरकार द्वारा 3 महीने की रहत दी गयी थी परन्तु परेशानी इस बात की थी कि उन्हें यह किश्त चुकाने में थोड़ा समय मिल गया था लेकिन किश्तें माफ़ तो नहीं हुई थीं ! हमारी मीशा भी इसी परेशानी का शिकार हुई ! घर में एक महीने से ज्यादा बंद मीशा की हर वक्त किश्तों की ही चिंता लगी रहती ! हालाँकि वो अपनी माँ को कुछ बताती नहीं थी पर उसकी माँ बिना बताये ही समझ गयी थी कि उसे किस बात की फ़िक्र है ! माँ उसे समझती कि वो चिंता ना करे ! ज्यादा से ज्यादा क्या होगा उसे अपने गहने बेचने पड़ जायेंगे ! पर माँ ने उसे चिंता ना करने को कहा ! मीशा ने अपनी गलती मानते हुए माँ से कहा कि उन्होंने तो उसे खूब समझाया था पर उसने ही उनकी बात नहीं मानी और अब वो किश्तों के इस मायाजाल में फंस गयी थी ! पर फिर भी उसने माँ को चिंता ना करने को बोला और कहा कि वो किसी तरह इसका हल कर लेगी ! माँ ने फिर उसे चेताया कि वो इस सबके लिए कोई गलत काम ना करे ! उसने माँ को विश्वास दिलाया कि वो कोई भी गलत काम नहीं करेगी !


तीसरे lockdown में सरकार ने कुछ छूटें दी थीं ! जैसे राशन और जरुरी सामान लेने जा सकते थे ! मीशा का राशन लगभग ख़तम था और पैसे भी उसके पास पूरे पूरे थे ! उसके पास जाने के लिए कोई साधन नहीं था तो उसकी एक सहेली जो उसी तरफ कहीं जा रही थी उसने उसे बाजार पहुँचाया ! चिंता की लकीरें उसके माथे से जा ही नहीं रही थीं ! वो उस वक्त को कोस रही थी जब उसने माँ की बात को नहीं माना था ! उसे तो बस हर तरफ हरियाली ही नज़र आ रही थी और यह समय भी आएगा उसने कहाँ सोचा था ! हालाँकि उसकी मासिक आय बहुत अच्छी थी फिर भी आज वो पैसे पैसे को तरस रही थी ! क्यों वो अपनी चादर से बाहर गयी ! इसी बात को सोच सोच के परेशान हो रही थी ! कभी सोचती किसी से उधर ले ले ! लेकिन उधर लेके उधर चुकाना कहाँ की अक्लमंदी थी ! वो एक दुकान पे पहुंची जहाँ पर वो देख देख के सामान खरीद रही थी कि जो बहुत ही जरुरी हो वही सामान उसे खरीदना है ! कभी वो कोई सामान उठा लेती कभी रख देती ! दूर खड़ा एक लड़का जो खुद घर का सामान लेने आया था उसे देख रहा था और मुस्कुराये जा रहा था कि यह लड़की क्या कर रही है ! वैसे उसने उसे पहचान लिया था !


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Posted: 4 years ago
#37

LOVE IN CORONA (भाग 3 )

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नजदीक जाकर वरुण ने मीशा का अभिनन्दन किया ! पहले तो मीशा ने उसे पहचाना नहीं लेकिन जल्द ही उसे वरुण याद आ गया ! उसने थोड़ा जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश की और उसके काम के बारे में पूछने लगी तो वरुण ने बताया के उसके दो काम भुगतने थे इस दौरान जो पूरे नहीं हो पाए और उन लोगों ने बिलकुल सादा ढंग से सब कुछ निपटा दिया था सो उसको वहां से कुछ मिलने की उम्मीद नहीं थी और उल्टा स्टाफ की तनख्वाह देना उसकी जरुरत थी ! पर वो यह सब कुछ हँसते हुए बता रहा था ! मीशा हैरान थी कि उसे इस बात की बिलकुल भी चिंता नहीं थी ! फिर उसने मीशा से पूछा कि उसकी जिंदगी कैसी चल रही है तो मीशा ने झूठमूठ ही बोल दिया कि सब कुछ अच्छा चल रहा था ! पर वरुण ने उसे टोका और बोला कि उसे महसूस हो रहा है कि वो काफी चिंता में है ! तो मीशा ने उसे बोल दिया कि चिंता की ज्यादा कोई वजह नहीं बस इस आपत्ति काल ने उसकी माली हालत कुछ बिगड़ दी थी ! तो वरुण हंसने लगा और बोला कि यह भी कोई सोचने की बात है ! यहाँ तो सबका यही हाल है ! पर मीशा को हंसी नहीं आयी ! उसने कहा कि वो उसकी हालत नहीं समझ सकता और वो अपनी बातें बता कर उसको खामखाह परेशान भी नहीं करना चाहती ! इस तरह उनकी बात वहीँ पर खत्म हो गयी और मीशा वहां से बाहर निकल गयी और किसी रिक्शा वगैरह का इंतज़ार करने लगी क्यूंकि घर दूर था और उसके पास साधन कुछ भी नहीं था ! पर उसे 10 मिनट से भी ज्यादा हो गए थे और उसे कोई साधन नहीं मिला था !


एक गाड़ी उसके पास आकर रुकी, उसका शीशा निचे गिरा और अंदर से वरुण की आवाज़ आयी और उसने उसे ले जाने कि बारे में बोला तो मीशा ने पहले तो इंकार कर दिया क्यूंकि उसका घर दूर था ! पर उसके दुबारा कहने पर उसने साथ जाना ही ठीक समझा क्यूंकि उसे अब लग रहा था कि उसे घर जाने के लिए कोई साधन नहीं मिलने वाला था ! उसने अन्दर बैठते ही उसने उसको शुक्रिया बोला और कहा कि वो भी किसी दिन उसके काम आना चाहती है तो वरुण ने हँसते हुए कहा कि वो खुद की शादी में उसे ही कॉन्ट्रैक्ट देकर यह क़र्ज़ चूका सकती है ! तो मीशा ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा कि उसकी कहाँ इतनी बड़ी शादी होने वाली है कि वो कोई wedding planner hire करे ! वरुण ने भी अब गंभीर होते हुए कहा कि उसके पास भी सब कुछ है और इंसान का वक्त बदलते समय कहाँ लगता है और उसे दुबारा उसकी चिंता का कारण पूछा ! तो मीशा ने एक एक करके अपनी सारी परेशानियां बता दी ! वरुण ने थोड़ा झिझकते हुए उसे कहा कि अगर उसे किसी चीज की जरुरत हो तो वो बता सकती है तो मीशा ने शुक्रिया कहते हुए माना कर दिया कि उसे चुकाना तो उसे भी पड़ेगा इसलिए वो इसी तरह अपनी परेशानियों से झूझना चाहती है ! इतने में उसका घर आ गया और उसने उसे औपचारिकता वश चाय पीने कि लिए अंदर आने को बोला ! हालाँकि वरुण ने फिर कभी आने को बोलकर एकदम माना कर दिया पर पता नहीं क्यों मीशा को उसकी बातों से थोड़ा सुकून मिल रहा था तो उसने थोड़ा जोर देकर कहा ! वैसे भी उसने उसे छोड़ कर उस पर एक एहसान तो किया ही था !


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Posted: 4 years ago
#38

LOVE IN CORONA (भाग 4 )


दोनों लोग चाय पी रहे थे तो वरुण ने उसे बोला कि उसने गलती तो की है ! उसे नौकरी की शुरुआत में इतनी ज्यादा किश्त नहीं शुरू करनी चाहिए थी हमेशा चादर देख कर ही पैर पसारने चाहिए ! मीशा ने कहा कि वो एकदम सही बोल रहा है ! वरुण ने कहा परन्तु अब जब गलती हो गयी है तो उसे इस विपत्ति कि समय तो सुधारा नहीं जा सकता ! हाँ भविष्य में जरूर उसके बारे में सोचा जा सकता है ! मीशा को उसकी बात अच्छी लगी ! उसने उसे बोला कि उसका समझने का ढंग बहुत अच्छा है ! वरुण केवल मुस्कुरा दिया और उसने समझाना जारी रखा ! वो बोला कि हम जब तरक्की कि शुरुआत में होते हैं तो हम एक कमी वाले माहौल से निकले होते हैं और हमें लगता है कि हम सब कुछ थोड़े ही समय में प्राप्त कर लें ! जो कि बिलकुल सही नहीं है ! आज कि उपभोक्ता युग में बाजार में इतनी चीजें इतनी आसान किश्तों पे उपलब्ध हैं कि हमें लगता है हम सब कुछ ही खरीद लें ! पर मेरे हिसाब से हमें अपनी हैसियत कि अनुसार थोड़ा थोड़ा करके धीरे धीरे सामान बनाना चाहिए ! मीशा मंत्रमुग्ध होकर उसकी बात सुने जा रही थी ! कितना समझदार था वो इंसान और कितनी बेवकूफ थी वो जो इस मायाजाल में फंस गयी थी! जैसे वरुण को उसकी मन की बात सुन गयी थी ! उसने बोला कि अब वो उस मायाजाल में फंस गयी थी तो निकलना भी उसे ही होगा ! पर चिंता करके कभी किसी बात का हल नहीं निकलता ! उसे बहादुरी से इस स्थिति का सामना करना पड़ेगा ! उसने अपने काम की शुरुआत की कहानी सुनते हुए कहा कि कैसे उसे शुरू में ही बड़ी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था ! और कैसे उसने उन चुनौतियों का सामना करते हुए सफलता को प्राप्त किया था ! उसने कहा कि वो घबराये नहीं ! कुछ ही महीनो में सब ठीक होने वाला है !


मीशा अब मुस्कुरा रही थी ! उसका मन और सर दोनों ही हल्के हो गए थे ! उसे एक बार तो लगा कि जैसे उसकी किश्तें ही चुकता हो गयी हों ! जब हमें कोई समझने वाला या ढांढस बांधने वाला मिल जाता है तो बड़ी से बड़ी समस्या भी चींटी जितनी हो जाती है और उसके साथ भी वैसा ही हुआ था ! वरुण ने उसे कहा कि बाद में वो यह समझ ले कि उसने दो तीन महीने कुछ नहीं कमाया और फिर उन दो तीन महीनो के बाद उसे नयी नौकरी मिली है और उसे अब नए सिरे से शुरुआत करनी है इस तरह वो थोड़ा तो उस समस्या से बाहर निकल सकती थी ! मीशा ने उसे कहा कि उसने तो उसकी सारी समस्या ही हल कर दी तो वरुण बोला कि सोचने से कुछ नहीं होता बल्कि हम बीमार पड़ सकते हैं जबकि किसी भी मुसीबत का सामना करने से ही वो हल होती है ! समस्या ज्यूँ की त्यों थी पर अब मीशा को उसे झेलने की ताकत मिल गयी थी ! उसके एक नए दोस्त से ! उसे अब लग रहा था कि उसे वरुण से लगातार बात करते रहना चाहिए ! परन्तु वो यह बात उसे बोल नहीं पा रही थी ! इतने में वरुण उठा और जैसे हर बार वो उसके मन की बात पढ़ लेता था उसने अपना कार्ड निकलते हुए कहा कि पहले वाला तो गम हो गया होगा क्यूंकि उसका कार्ड उसके मतलब का नहीं था तो वो यह रख ले ! तो मीशा ने मुस्कुराते हुए अपने बैग से उसका कार्ड निकलते हुए कहा कि देखो उसने यह संभल के रखा हुआ है ! वरुण बोला यह रखने के लिए नहीं होता कभी कभी फ़ोन कर लेना चाहिए तो मीशा बोली के पहले कोई वजह नहीं थी पर अब वो लोग दोस्त थे तो अब वो फ़ोन कर सकती थी ! वरुण मज़ाकिया अंदाज़ में बोला कि अच्छा जी एक ही दिन में दोस्त बना लिया ! मीशा ने मुस्कुरा के कहा कि जिस अंदाज़ में उसने उसे इस तरह चिंतामुक्त किया है तो दोस्त कहना कोई बुरी बात नहीं है ! वरुण बोला दोस्त कहना कभी भी बुरी बात नहीं होती और उसने फिर से दोस्ती के नाते मदद का आग्रह किया जो मीशा ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि उसी ने तो यह सब सहने की हिम्मत बंधे है वही उसे कमजोर कर रहा है तो वरुण उसकी बात सुनकर मुस्कुराया और वहां से निकल गया ! निकलने से पहले उन दोनों ने एक दुसरे के फ़ोन पे रिंग मार कर अपना अपना नंबर एक दुसरे तक पहुंचा दिया था जो दोनों ने सेव कर लिया !


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Posted: 4 years ago
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LOVE IN CORONA (भाग 4 )

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शाम को माँ ने भांप लिया कि मीशा के बात करने के ढंग में आज कुछ फर्क था ! उन्होंने पूछ ही लिया कि क्या उसकी तनख्वाह मिल गयी है तो मीशा ने इंकार कर दिया ! तो माँ ने पूछा कि उसका इतना खुश होने का क्या कारण है ! तो मीशा ने वरुण वाली सारी बात अपनी माँ को बता दी ! सच ही तो है माँ और बेटी की दोस्ती से बड़ी कोई दोस्ती नहीं है ! माँ ने उससे पूछा कि वो भी तो उसे इतने दिनों से समझा रही थी ! फिर उसे उस लड़के की बातें इतनी अच्छी क्यों लगी ! तो मीशा ने कहा कि उसका समझने का अंदाज़ ही कुछ अलग था तो माँ ने कहा कि कहीं उसे उससे प्यार तो नहीं हो गया ! जब बेटी किसी लड़के के बारे में अपनी माँ से चर्चा करती है तो माँ का सबसे पहला सवाल यही होता है ! मीशा ने कहा कि नहीं माँ आज ही तो हमारी बात हुई है ! हाँ दोस्त जरूर मानती हूँ उसे पर उस तरह से उसके बारे में नहीं सोच सकती क्यूंकि वो एक बहुत बड़े घर से था ! तो माँ ने कहा कि तू समझदार है और कोई भी फैसला अच्छे से सोच विचार के लेना क्यूंकि यह उसके भविष्य का सवाल था ! मीशा ने माँ को थोड़ा डांटते हुए कहा कि वो इतना सब ना सोचें और कोई और बात करें ! कुछ भी हो माँ को इस बात की ख़ुशी हुई कि उसकी बेटी चिंता नाम की उस चिता से उठ गयी थी !


अगले दिन दोपहर 1 बजे के करीब मीशा के फ़ोन की रिंग बजी तो उसने हैरानी से फ़ोन की तरफ देखा कि इस वक्त किसका फ़ोन होगा ! उसने यह अपेक्षा नहीं की थी कि वरुण उसे फ़ोन करेगा ! hi hello कि बाद वरुण ने उसका हाल चल पूछा मीशा ने कहा कि अब सब ठीक था और उसका हाल पूछा तो वरुण ने जिंदादिल अंदाज़ में बोला कि वो हमेशा ठीक होता है ! मीशा यह सुनकर खिलखिला कर हंस पड़ी तो वरुण भी हंस दिया ! मीशा ने उसे बोला कि उसने कल ही राशन लिया था तो एक दो दिन तो बढ़िया कुछ बनाना था उसे और आज वो कड़ाही पनीर बना रही थी और अगर वरुण कहीं पास होता तो वो उसे दोपहर के खाने पे बुला लेती ! तो वरुण ने कहा कि खिलने वाले को निमंत्रण देना चाहिए यह निम्रत्रण पाने वाले पर छोड़ देना चाहिए कि वो कैसे पहुँचता है ! मीशा ने मुस्कुराते हुए कहा कि उसे ख़ुशी होगी अगर वो खाने पर आये ! तो वरुण बोला कि वो दो बजे तक पहुँच जायेगा ! वो भी शायद इसी ताक में बैठा था कि वो उसे घर बुलाये और वो उसके पास पहुँच जाये !


वरुण ने उसकी जॉब कि बारे में पूछा तो मीशा ने विस्तार से उसे सब कुछ समझाया तो वरुण ने उसकी तारीफ करते हुए कहा कि उसने काफी कम समय में काफी तरक्की की है तो मीशा ने शरमाते हुए कहा कि उस जितनी नहीं ! वरुण बोला कि तरक्की का कोई मापदंड नहीं होता ! इसे कमाई से नहीं मापा जा सकता ! किसी ने तरक्की की है तो की है ! मीशा फिर से उसकी बातों से मंत्रमुग्ध हो गयी थी ! कितनी समझदारी वाली बातें करता था वो ! हालाँकि बातों बातों में उन लोगों को पता चला कि वरुण मीशा से कोई दो साल छोटा था ! पर मीशा ने कहा कि दोस्ती में उम्र कहाँ मायने रखती है और कहा कि छोटा होने कि बावजूद वो उससे काफी ज्यादा समझदार है ! इस पर वरुण ने कहा कि ज़र्रानवाज़ी का शुक्रिया ! मीशा फिर हंस पड़ी ! दो दिन में वो कितना हंसी थी ! उसे अब किश्तों की कोई चिंता नहीं थी ! हालाँकि उसे पता था कि उसे खुद ही सब चुकाना है पर उसे अब लग रहा था कि अब कोई है उसका साथ देने कि लिए ! माली तौर पर नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से ! मीशा ने उसे कहा था कि वो पहले गर्म गर्म खा ले परन्तु वरुण ने कहा कि वो 1 घंटे का सफर अकेले खाने के लिए तय करके आया है क्या? तो वो लोग अब इकठे खा रहे थे ! मीशा ने इतना अच्छा सब कुछ बनाया था कि वरुण उँगलियाँ चाटता रह गया ! उसने कहा कि उसे इतने स्वादिष्ट खाने पे नहीं बुलाना चाहिए था क्यूंकि उसकी आदत ख़राब हो सकती थी तो मीशा ने कहा कि वो जब मर्जी अपनी इच्छा से कुछ भी उससे बनवा सकता था और उसे इस मामले में औपचारिकता नहीं करनी चाहिए ! वरुण ने उसकी इस बात पर सहमति जताई !


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Posted: 4 years ago
#40

LOVE IN CORONA (भाग 4 )

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आज शाम को माँ से बात करते वक्त मीशा का ध्यान ही नहीं था और वो वरुण की बातें ही सोचे जा रही थी ! माँ कितनी बार एक ही बात को दोहराती तब जाकर उसे समझ में आती ! माँ ने उसे चेतावनी दी कि लड़की समझ जा यह अच्छे लक्षण नहीं हैं ! वैसे अंदर से माँ खुश थी कि वो अब सामान्य हो गयी थी ! मीशा ने शरमाते हुए माँ से कहा कि कुछ बात नहीं थी ! जबकि मन ही मन वो वरुण के बारे में ही सोचे जा रही थी और उसे लग रहा था कि माँ का फ़ोन काट कर वो वरुण का फ़ोन लगा ले ! माँ ने भी जल्दी ही फ़ोन रख दिया उन्हें लगा कि वो कहीं और ही थी ! मीशा ने तुरंत वैसा ही किया ! बिना सोचे समझे वरुण का फ़ोन मिला दिया ! उधर वरुण ने फ़ोन उठाया और कहा कि वो भी सोच रहा था कि उसे फ़ोन करे ! तो मीशा के मुँह से अचानक निकला कि वो क्यों उसे फ़ोन करना चाहता था तो वरुण ने थोड़ा सोचा और बोला कि वो उसे दोपहर के खाने के लिए धन्यवाद देना चाहता था तो मीशा बोली कि वो तो उसने दोपहर को ही बोल दिया था ! वो भी उसके मुँह से कुछ सुनना चाह रही थी ! वरुण बोला खाना इतने स्वादिष्ट था कि बार बार शुक्रिया बोलने को दिल करता है वैसे वरुण ने बोल तो दिया कि वो भी फ़ोन करना चाहता था पर बोल नहीं पाया कि उसे उसके साथ बात करना अच्छा लगता है! मीशा जोर से हंसने लगी और बोली कि खाना इतने भी अच्छा नहीं था ! वरुण एकदम बिंदास लड़का था तो उसने बोल ही दिया कि उसे उसके साथ बात करके अच्छा लगता है ! हालाँकि मीशा को यह सुनकर बहुत अच्छा लगा पर वो शर्मा गयी और कुछ बोल नहीं पायी ! उसे चुप देखकर वरुण बोला कि उसे अगर उसकी बात अच्छी नहीं लगी हो तो उसके लिए sorry ! मीशा ने कहा कि अच्छी क्यों नहीं लगेगी उसे भी उसके साथ बात करना अच्छा लगता है तभी तो उसने उसको फ़ोन लगाया ! वरुण ने कहा कि असलियत यह है कि वो उससे रोज़ाना मिलना चाहता है पर अभी यह संभव नहीं था क्यूंकि सब तरफ बंद की वजह से इस तरह घूमना फिरना आसान नहीं था ! मीशा ने भी उसे कहा कि वो इस तरह ना आया करे और जब भी उसका मन करे वो लोग फ़ोन पर बात कर सकते थे ! मीशा सोच रही थी कि वो दो ही दिन में उसके साथ कितना घुलमिल गयी थी ! वैसे वरुण था भी बहुत अच्छा लड़का ! उसका उसके साथ घुलना मिलना स्वाभाविक ही था !


दिन भर उन लोगों की बातें चलती रहती ! मीशा माँ को सब कुछ बताती थी उसने उसे यह भी बताया कि वो उसे मन ही मन पसंद भी करने लगी थी पर हैसियत के फर्क की वजह से वो उसे बोल नहीं पा रही थी ! माँ ने उसे समझाया कि इस मामले में उसे शुरुआत करने दे क्यूंकि वो अच्छे से हमारी माली हालत को समझता है और अगर उसे लगा कि इस सब के बावजूद वो तुम्हे पसंद करता है तो बाकि सब बाद में देखेंगे ! मीशा को माँ की बात अच्छी लगी और इसके बाद माँ ने फ़ोन रख दिया ! इतने में वरुण का फ़ोन आया कि वो निचे खड़ा है ! रात के 8 बजे थे और उसे बिलकुल भी आशा नहीं थी के वरुण उसके पास इतनी रात को आएगा! पर अब आ गया था तो वो उसे मना भी कैसे करती ! उसने उसे ऊपर बुला लिया ! उसने एक और बात सोची कि उसे पता तो था नहीं कि वो आने वाला है सो उसने तो सिर्फ मूंग की दाल बनायीं थी अपने लिए ! वरुण ऊपर आया ! उसके पास दो चॉकलेट थे ! मीशा ने उसे बोला कि चॉकलेट किस ख़ुशी में ! तो उसने उसे बताया कि आज उसका जन्मदिन था ! मीशा ने पहले तो उसे बधाई दी फिर कहा कि उसने उसे इस काबिल भी नहीं समझा कि उसे जन्मदिन के बारे में बताये तो वरुण बोला कि वो शाम को एक SURPRISE कि रूप में उसे बताना चाहता था ! वैसे वो उसे पार्टी देना चाहता था पर अभी इस माहौल में यह संभव नहीं था ! वैसे मीशा को ख़ुशी हुई कि उसने अपने जन्मदिन पर उसे याद किया और मनाने के लिए उसके पास आया, यह मीशा के लिए बहुत बड़ी बात थी ! वरुण बोला कि फिर से किसी चिंता में घिर गयी तो मीशा ने मुस्कुराते हुए कहा कि चिंता नहीं उसे उसके आने की आशा नहीं थी और तो और उसने आज मूंग की दाल बना राखी थी ! पर मीशा बोली कि उसे आधा घंटा दे ताकि वो कुछ अच्छा बना सके ! वरुण ने यह कहते हुए कि LOCKDOWN में जन्मदिन इसी तरह मनाना लिखा था उसे कुछ और बनाने से मना कर दिया ! फिर दोनों ने दाल रोटी खा कि और CHOCOLATE कि साथ ही जन्मदिन मनाया ! पर अभी बात यहीं ख़त्म नहीं हुई थी ! वरुण उसे अपने माँ बाप की कोई गंभीर बात बताना चाह रहा था ! सुनते ही मीशा का दिल जोर जोर से धड़कने लगा और उसकी सांसें जैसे रुक गयीं ! वो सोचे जा रही थी कि आखिर क्या बात है जो वरुण उसे बताना चाह रहा था !


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