Chilling video of Sri Lankan bomb attack leaders emerges
VDO in below link,...
LINK: https://www.cnn.com/videos/world/201...ni-pkg-vpx.cnn
श्रीलंकन राष्ट्रपति ::: "अब यहां कोई मदरसा और मस्जिद नही चलेगा"
एक ही ब्लास्ट मे आतंकवाद का असली मज़हब पहचाने वाला पहला देश...!
"श्रीलंका में सभी मस्ज़िद,मदरसों पे लगाएंगे बैन यही से पनपता है आतंकवाद" #श्रीलंकाई राष्ट्रपति
चमचो संघ,बीजेपी वहाँ भी है क्या...?
श्रीलंकाई सरकार एक ही बार में समझ गयी कि "आतंकवाद का धर्म होता है"
पिछले २४ घण्टों में ५०० से ऊपर लोगों को घरों से उठाया गया है,बिना किसी अरेस्ट वारण्ट अथवा कानूनी प्रक्रिया की अनुपालना के...उठा लिए गए सभी लोगों के नाम किसी को नहीं बताए जा रहे,किन्तु उनके मजहब को बिल्कुल छुपाया नहीं जा रहा आधिकारिक भाषा मे खुल कर"मुसलमान आतंकवादी हैं"कहा जा रहा है...!
नाम छुपाने के पीछे उद्देश्य - कि बाकी मुसलमान लोग इनके नाम पर स्मारक न बना दें,इन्हें शहीद घोषित कर के...ये कहना है वहां के पुलिस चीफ का...!
२४ घण्टे का कर्फ्यू लगाया गया है...किसी को भी बच कर भागने से रोकने के लिए...!
देश में आपातकाल लगा कर, आतंकवादियों की सुनवाई करने के नागरिक अदालतों के अधिकार छीन लिए गए हैं सभी मामले मिलिट्री कोर्ट में चलेंगे... जिनकी सजा पूर्व-निर्धारित है - फायरिंग स्क्वाड द्वारा घुटनों पर झुका के गोली से उड़ा दिया जाना...!
अगर...कोई एक-दो पकड़े जाते समय ही गोली मार दिए जाने से बच कर मिलिट्री कोर्ट तक पहुंच पाए,तो...!
भारत की ओर से श्री लंका को फुल सपोर्ट दिया जा रहा है, टैक्टिकल-सहयोग समेत...!
इधर...भारतीय नौसेना और कॉस्ट गार्ड को पूरी छूट दे दी गई है...कि वो समंदर के पानी पर उभरती किसी भी मानवाकृति को,असैनिक नाव को...बारूद से उड़ा कर जलसमाधि दे दें...इससे पहले कि वो तमिलनाडु की तटीय धरती पर मिट्टी के एक कण को भी स्पर्श कर जाए...!
और एक बात...!
जानते हैं,भारत और श्री लंका की बुनियादी व्यवस्थाओं में अंतर क्या है...?
(जब कि शक्ति-संतुलन की बात की जाए,तो बेर की झाड़ी की तुलना विशालकाय बरगद के वृक्ष से करने वाली बात होगी)
वो ये कि -इन सब कार्यवाहियों में सरकार को विपक्ष का पूरा समर्थन प्राप्त है...किसी भी मीडिया या अखबार का कोई भी पत्रकार उन मुसलमान आतंकवादियों से सुहानुभूति नहीं दर्शा रहा...!
एक भी ऐसा नेता नहीं जो धरती पर मौजूद गैर-मुस्लिम दुधमुंहे बालक तक से जीने का प्रकृति-प्रदत्त अधिकार उसकी गर्दन काट कर छीन लेने की पैशाचिक तमन्ना पाले बैठे उन मुसलमान मजहबवादियों की मृत्यु पर उनके किसी रिश्तेदारों के घर जा कर,या रात को अपने किसी परिजन के कमरे में जा कर घड़ियाली आँसू बहा रहा हो...!
ऐसा कोई जज नहीं वहां जो आधी रात को कोर्ट के दरवाजे खोल के बैठ जाए,मुसलमान आतंकवादियों की पैरवी के लिए...!
वहाँ उन मुसलमान आतंकवादियों को ढूंढे से वकील नहीं मिल रहे, जो उनका केस लड़ें...!!!
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